बुढ़ापे में सक्रिय रहिये!
संयुक्त परिवारों के टूटने से बूढ़े लोगों की समस्या और भी ज्यादा जटिल हो गयी है और अब बुज़ुर्ग अपने आप को निराश्रित व कमज़ोर महसूस करने लगे हैं। गांव में बड़े बड़े घर व खुला आंगन था जहाँ बुज़ुर्ग अपनी खाट आंगन में डाल दिन व्यतीत करते थे। बच्चो को दादा बाबा का डर बना रहता। पेट की खातिर गांव छूटा देश छूटा। अब छोटे छोटे घरों में रहना मुश्किल हो गया है। उनको संभालना मध्यम एवम गरीब के लिये कठिन हो गया है।
आज के इस वक़्त में ऐसी बहुत सी संस्थाएं है जिनके काम मे आप हाथ बटा सकते है और स्वम अपनी और दूसरों की मदद कर सकते हैं| जैसे मनोरथी फाउंडेशन जिनका उद्देश्य बुज़ुर्गो, महिलाओं या जिन किसी को भी पुरानी बीमारी हैं उनको मानसिक और भावनात्मक रूप से मदद करता है। यह सब करने के लिये इनके अलग अलग व्हाट्सएप्प ग्रुप हैं जिनमे : संगीत, व्यायाम, आर्ट & क्राफ्ट, कुकिंग इत्यादि मुख्य हैं जिनमें आप जैसे ही बहुत सारे सदस्य है जो आपस मे अपनी प्रतिभा और रुचियों के अनुसार कुछ नया सीख सकते हैं या किसी को सिखा सकते है।
इस वैश्विक महामारी (कोविड 19) के समय मे ऐसी और भी संस्थाएं है जो लोगो की बुनियादी जरूरतों को पूरी करने की कोशिश में लगी है और अपना योगदान दे रहीं है। इनसे आप भी जुड़कर अपनी और साथ साथ दूसरे लोगों की भी मदद कर सकते हैं। कुछ संस्थाओ के शहर और जानकारी यहाँ लिंक में है|
https://silvertalkies.com/organisations-providing-support-senior-citizens-coronavirus-crisis/.
यदि आप सफर लंबा नही कर सकते तो अपने मोहल्ले में पेड़ लगाना, सफाई पर ध्यान देना, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स पर जाकर सेवाएं देना, अपने घर मे काम करने वालो के बच्चो को सीखना/पढ़ाना या फिर अपने शरीर और पैसे से जो भी संभव हो वह करें।
इन सभी के अलावा भी कुछ अन्य संस्थाएं भी है जिनसे आप जुड़कर अपने समय का सदुपयोग कर सकते है या फिर दान देकर उनकी मदद कर सकते हैं।
https://www.dignityfoundation.com
https://www.agewellfoundation.org/
यह संस्थायें भी बुज़ुर्गो के लिये विभिन्न कार्यक्रम करती हैं या फिर आप अपने क्षेत्र के अनाथ आश्रम जाकर भी वहाँ बच्चो की मदद कर सकते हैं और अपना मन भी बहला सकते हैं।
उत्तरप्रदेश की चंद्रो तोमर ने 60 साल की उम्र में शूटिंग सीखकर ओल्डेस्ट शार्प शूटर नाम प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया –
“उम्र किसी कार्य मे बाधक नही होती यदि दिल से जवान हो तो”।
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Very well written nirmalaji
And since it has come from you it definitely is practical in nature