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फिर जागी आस्था |

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फिर जागी आस्था |

Manorathi Foundation
December 19, 2020
Emotion

मेरी शादी के बाद 32 साल बच्चों की परवरिश-पढ़ाई में कैसे हंसते-खेलते गुज़र गये पता ही नही चला। पर 21 मई, 1995 को मेरे पति को अचानक हार्ट अटैक हुआ। डॉक्टर की कोशिश के बावजूद 24 घंटे ज़िंदगी और मौत से संघर्ष करते हुए वे मौत के अघोष में समा गये। मैं लुटी-लुटी बिना एक बूंद आंसू बहाये उनके क्रिया-कर्म अपना फर्ज समझकर करती रही। मुझे लगा मैं रोउंगी तो बच्चे परेशान हो जायेंगे। पर भगवान से मेरी आस्था ही उठ गई। मुझे भगवान निष्ठुर लगने लगे। मैंने पूजा पाठ सब छोड़ दिया। हर वक़्त बस यही डर लगा रहता कि मुझे कुछ हो गया तो मेरे छोटे बच्चो को क्या होगा। ये तो एकदम अनाथ हो जायेंगे। दिनभर बैठकर यही सोचती रहती। परिणाम यह हुआ कभी मेरा ब्लड प्रेशर 100-180 हो जाता तो कभी इतना गिरता की नाड़ी ही छूट जाती। एंजियोग्राफी भी कराई। मेरी बेटी और जवाई मेरी बीमारी के क्षण मेरे पास ही रहे।

एकदिन हमारे एक हितेषी घर आये और उनसे बोले, बरसों से आपकी मम्मी हर मंगलवार श्री सिद्धि विनायक के दर्शनों को जाती थी क्यों न आप इनकी सेहत के लिये भगवान ‘महापूजा’ करा लें। सबको उनकी सलाह अच्छी लगी। हमने सिद्धि विनायक मंदिर में जाकर सेहत के लिये महापूजा की। उसके बाद से ही मुझे ऐसा लगने लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति मुझे फिर से जीने के लिए प्रेरित कर रही है। धीरे-धीरे मेरा भगवान पर विश्वास लौटने लगा। मुझे लगा जो जिम्मेदारी बच्चो को पढ़ाने की, शादी की जो मेरे कंधों पर आ गयी है उसे मुझे पूर्ण करना है। मौत तो मांगे से नही मिलती जब आनी है तभी आयेगी। अब लगता है हर इंसान को अपने कर्मो का फल भुगतना ही पड़ता है। न कोई साथ आया है न कोई साथ जाता है।

भगवान को धन्यवाद देना होगा कि यदि ज़िंदगी की एक राह बंद होती है तो जिंदगी समाप्त नही होती, ईश्वर कोई न कोई रास्ता निकाल ही देता है। à¤”र मेरी ज़िंदगी मे एक नही अनेक रास्ते खुले|

  • मैंने होमसाइंस पढ़ी थी तो इसी विश्वास से मैं अपनी प्रतिभा को आगे लेकर आयी और अपनी कढ़ाई, बुनाई, क्रोशिये इत्यादि से अन्य प्रकार की वस्तुएं बनाई और अपने आसपास के लोग जिनको रुचि थी उनको भी सिखाया। बागवानी और कुकिंग भी साथ साथ चलती रही। 
  • मुझे क्रिकेट और राजनीति में बहुत रुचि थी तो मैंने नवभारत टाइम्स में लेटर टू एडिटर में लेख लिखने शुरू किए जो प्रकाशित भी हुए।
  • जैसे कहते हैं कि एक दरवाजे से दस दरवाजे खुलते हैं उसी प्रकार मेरे हिन्दी भाषा के अच्छे ज्ञान के कारण मेरे लेख अक्सर प्रकाशित होने लगे।
  • मेरे प्रकाशित लेख और हिन्दी के ज्ञान के कारण मुझे स्कूलों में हिन्दी की वाद विवाद पतियोगिताओं में जज की तरह बुलाया जाने लगा। 
  • जैसे जैसे वक़्त बीता बच्चो की पढ़ाई पूर्ण कराकर उनकी शादियां कराईं और बच्चो को भी पालने में मदद कर अपने कर्तव्य का वहन किया।-दुनिया के अलग अलग कोनो में सभी बच्चे बस गये जैसे दुबई, कनाडा, दिल्ली, मुम्बई। 
  • फिर गठिया बाय (अर्थराइटिस) ने मुझे जकड़ लिया और में व्हील चेयर पर आ गयी। तब भी मैंने ठान लिया कि खाली नही बैठना और अपने शौक जारी रखे। अखबारों में तो नही भेज पायी लेकिन फिर भी लिखना नही छोड़ा। 
  • उम्र के पचहत्तर वे पड़ाव पर शरीर मे सोडियम के उतार चढ़ाव के कारण में बिल्कुल बिस्तर पर आ गयी। उस साल मेरी धेवती की दिल्ली में शादी थी और शादी में जाना बिल्कुल नामुमकिन से लग रहा था। एक महीने पहले मेरी इच्छाशक्ति जागी और मैंने शादी में जाने का दृढ़ निश्चय कर लिया। सघन फिजियो थेरेपी और अच्छे इलाज के बाद फ्लाइट से दिल्ली जा सकी और शादी शरीक हो सकी।
  • तत्पश्चात वापस आकर अपनी बुनाई इत्यादि करती रही लेकिन 2020 में हाथों में समस्या (कॉर्पोरल टनल सिंड्रोम) शुरू हो गई और मुझे हाथ का काम छोड़ना पड़ा।
  • खुद की तो कुकिंग तो छूट गयी परंतु अपनी नर्स की मदद से रसोई में जाकर अपनी बाई को निर्देश देकर नये नये व्यंजन बनवाती और उसे सिखाती भी रही।
  • अभी हाल ही में मनोरथी फाउंडेशन के साथ मैं जुड़ी और शरीर से नही तो अपने दिमाग से अपना यथोचित सहयोग देने की कोशिश करती हुँ। अपने सारे आईडिया या फिर हुनर साझा करके मदद करने की कोशिश कर रही हूँ। 

खाली न कभी बैठी न कभी बैठूंगी |


ABOUT THE AUTHOR

Mrs Nirmala Goswami
Mrs Nirmala Goswami


77 years old loving and inspirational grandmother of 7 grand children has been living in Mumbai for five decades. She is a culinary expert, passionate reader, cricket buff and enjoys knitting, tending her window garden. Her articles and recipes have been published in leading Hindi newspapers and magazines. An enthusiastic teacher she never misses an opportunity to share her cooking and knitting skills with eager learners.

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2 replies added

  1. Neha Sethi December 30, 2020 Reply

    Very inspiring Nirmila ji. You have carved a way for many disillusioned and lost souls. I’m sure you have set a strong example of how to not only live life but to celebrate it
    Thanks for this beautiful post

  2. Geetika Singhal December 31, 2020 Reply

    वाह वाह!! आपके नाम के समान आपके काम भी अति सराहनीय है। जिस तरह आप निर्मल मन से अपनी जिंदगी कि हर पल को जीकर अपनी जिंदगी से भी आगे निकलती जा रही है आपने एक मिसाल कायम की है। इसी तरह आप post likhate Rahana. Thank you so much.

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